भारत के सबसे प्रसिद्ध और धनवान मंदिरों में से एक तिरुपति बालाजी मंदिर है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर में भक्त न केवल चढ़ावा अर्पित करते हैं, बल्कि अपनी श्रद्धा के प्रतीक स्वरूप बालों का भी दान करते हैं। आइए जानते हैं, इस बाल दान की पौराणिक मान्यता और इसके पीछे की कहानी के बारे में।
तिरुपति बालाजी मंदिर भगवान श्री वेंकटेश्वर स्वामी को समर्पित है, जो भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। यह मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के तिरुमला पर्वत पर स्थित है, और यहां श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं। इसके अलावा, यहां की एक अनोखी परंपरा है जिसमें लोग अपने बालों का दान करते हैं, जो सालों से चली आ रही है।
पौराणिक कथा के अनुसार,
प्राचीन काल में भगवान बालाजी की मूर्ति पर चीटियों का एक पहाड़ बन गया था, और हर दिन एक गाय आकर दूध देती थी। जब गाय के मालिक को यह पता चला, तो वह नाराज हो गया और गाय को मार डाला। इससे भगवान बालाजी के सिर पर चोट आई और उनके बाल गिर गए। यह देख भगवान की माता नीला देवी ने अपने बाल काटकर बालाजी के सिर पर रख दिए। उनके सिर का घाव ठीक हो गया, और भगवान ने माता नीला देवी से प्रसन्न होकर वचन लिया कि जो कोई भी उनके लिए अपने बालों का त्याग करेगा, उसकी सारी इच्छाएं पूरी होंगी। तभी से भक्त अपने बाल तिरुपति बालाजी मंदिर में अर्पित करने लगे, और यह परंपरा आज भी जारी है।
तिरुपति बालाजी मंदिर में बालों का दान करने से मान्यता है कि व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है। इस मंदिर के पास स्थित नीलादरी हिल्स पर नीला देवी का भी मंदिर है, जो इस कथा से जुड़ा हुआ है।
यह परंपरा न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसके माध्यम से लोग भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण को भी व्यक्त करते हैं।