‘एक देश, एक चुनाव’ (One Nation, One Election) पर भारत में लंबे समय से बहस चल रही है। 8 जनवरी 2025 को इस प्रस्ताव पर विचार करने के लिए एक विशेष संसदीय समिति की पहली बैठक होने जा रही है। यह कदम केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर चुनावों को एक साथ आयोजित करने की दिशा में उठाया गया है। इस विचारधारा को लेकर देशभर में विभिन्न राय देखने को मिल रही है।
क्या है ‘एक देश, एक चुनाव’?
यह अवधारणा कहती है कि पूरे देश में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं। वर्तमान में, भारत में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। इससे देश में लगभग हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव चलते रहते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि सरकार को प्रशासन और विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है।
जानें क्या हैं इसके लाभ:
खर्च में कमी: चुनाव कराने में भारी मात्रा में धन खर्च होता है। अगर सभी चुनाव एक साथ कराए जाएं, तो यह खर्च काफी हद तक कम हो सकता है।
प्रशासनिक दक्षता:बार-बार चुनाव कराने से सुरक्षा बल और सरकारी कर्मचारियों की बड़ी संख्या में तैनाती होती है। यह प्रशासनिक कामकाज को बाधित करता है। एक साथ चुनाव होने से इन समस्याओं से बचा जा सकता है।
राजनीतिक स्थिरता:बार-बार चुनाव होने से सरकारों पर लगातार चुनावी दबाव बना रहता है। यह नीति-निर्माण और दीर्घकालिक योजनाओं को प्रभावित करता है।
जानें क्या हैं इसके विरोध के कारण:
संघीय ढांचे पर प्रभाव:भारत का संविधान संघीय ढांचे पर आधारित है। अलग-अलग राज्यों के चुनाव एक साथ कराना उनके अधिकारों में दखल माना जा सकता है।
व्यवहारिक कठिनाई:भारत जैसे बड़े और विविध देश में सभी राज्यों और केंद्र के चुनाव एक साथ कराना एक बड़ी चुनौती है।
संवैधानिक संशोधन:यह योजना लागू करने के लिए संविधान में बड़े बदलाव करने होंगे। इसके लिए संसद और राज्य विधानसभाओं की सहमति जरूरी होगी, जो आसान नहीं है।
चुनौतियां:
‘एक देश, एक चुनाव’ लागू करने में कई व्यवहारिक और राजनीतिक चुनौतियां सामने आएंगी। जैसे:
सभी राज्यों की सहमति प्राप्त करना।
चुनावी प्रक्रिया को समन्वित करना।
आपातकालीन परिस्थितियों में सरकारों का कार्यकाल कम या बढ़ाना।
वर्तमान स्थिति:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाई है। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह संघीय ढांचे और क्षेत्रीय दलों की स्वतंत्रता के खिलाफ है।
‘एक देश, एक चुनाव’ एक महत्वाकांक्षी और क्रांतिकारी विचार है। यदि इसे सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह देश की चुनावी प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बना सकता है। हालांकि, इसे सफल बनाने के लिए राजनीतिक सहमति और व्यापक योजना की आवश्यकता होगी।