कॉमेडी में एक नई पहचान बनाने वाले पंजाब के मशहूर हास्य कलाकार जसपाल भट्टी का नाम आज भी लोगों के दिलों में जिन्दा है। उनके व्यंग्यात्मक और सैटेरिकल कॉमेडी ने न केवल दर्शकों को हंसी का एक अलग अनुभव दिया, बल्कि समाज में व्याप्त कई समस्याओं को भी उजागर किया। उनका निधन 2012 में एक सड़क दुर्घटना में हुआ, लेकिन उनकी कॉमेडी और काम आज भी याद किए जाते हैं।
जसपाल भट्टी का जीवन और करियर जसपाल भट्टी का जन्म 3 मार्च, 1952 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था। उन्होंने चंडीगढ़ के इंजीनियरिंग कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की और कॉलेज के दिनों से ही समाजिक मुद्दों पर आधारित स्ट्रीट प्ले करने लगे थे। इसके बाद उन्होंने दैनिक ट्रिब्यून अखबार में कार्टूनिस्ट के रूप में भी काम किया।
1980 के दशक में रंगीन टीवी की शुरुआत के साथ जसपाल भट्टी ने टेलीविजन शो ‘उल्टा-पुल्टा’ से ख्याति प्राप्त की। यह शो समाज की विसंगतियों पर व्यंग्य करता था और लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ।
90 के दशक का फ्लॉप शो ‘फ्लॉप शो’ 1990 के दशक का सबसे पॉपुलर शो था, जो आम आदमी की समस्याओं पर आधारित था। इस शो ने लोगों के दिलों में अपनी एक अलग जगह बनाई और जसपाल भट्टी को “कॉमेडी किंग” का खिताब दिलवाया।
बॉलीवुड में कदम जसपाल भट्टी ने बॉलीवुड में भी अपनी पहचान बनाई। उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें ‘जानम समझा करो’ (1999), ‘कारतूस’, ‘हमारा दिल आपके पास है’ और ‘फनहा’ जैसी फिल्में शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने पंजाबी फिल्मों में भी काम किया, जिनमें ‘जीजा जी’ और ‘माहौल ठीक है’ शामिल हैं।
सड़क दुर्घटना में निधन जसपाल भट्टी का निधन 25 अक्टूबर 2012 को हुआ, जब वह अपनी नई फिल्म ‘पावर कट’ के प्रचार के लिए मोगा से जालंधर जा रहे थे। उनकी कार एक पेड़ से टकरा गई, जिसमें उनकी मृत्यु हो गई। इस हादसे में उनके बेटे जसराज और फिल्म की नायिका सुरीली गौतम भी घायल हो गए थे।
समाजिक मुद्दों पर व्यंग्य जसपाल भट्टी की कॉमेडी में सिर्फ हंसी ही नहीं, बल्कि गंभीर मुद्दों पर भी प्रकाश डाला गया। उन्होंने भ्रष्टाचार, मुद्रास्फीति, और कन्या भ्रूण हत्या जैसे गंभीर मुद्दों को हास्य और व्यंग्य के माध्यम से उजागर किया। उनका ‘नकली प्रेस कॉन्फ्रेंस’ एक ऐसा उदाहरण था, जिसमें उन्होंने सरकारी अधिकारियों की विफलताओं पर तंज किया।
सम्मान और सम्मानित जसपाल भट्टी को उनके योगदान के लिए 2013 में पद्म भूषण (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया। इस अवार्ड के साथ ही उन्हें भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार सिविलियन अवार्ड से सम्मानित किया गया।
जसपाल भट्टी की हास्य कला और समाज के प्रति उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके द्वारा की गई कॉमेडी आज भी लोगों को हंसाती है और साथ ही समाज के गंभीर मुद्दों को उजागर करती है।